शिमला 16 जुलाई 2025 (rhnn) : एनएचएआई द्वारा किए जा रहे नेशनल हाइवे व फोरलेन निर्माण के कारण मकानों को हो रहे नुकसान, स्थानीय लोगों को 80 प्रतिशत रोजगार न देने, प्रभावितों को जिला प्रशासन द्वारा फौरी आर्थिक राहत व रिहायश का प्रबंध न करना, उन्हें उचित मुआवजा न देने, अवैध माइनिंग, डंपिंग, अवैज्ञानिक कटिंग, श्रम कानूनों की अवहेलना, बंधुआ मजदूरी, गुलामी, बाउंसरों गुंडों के जरिए मजदूरों को डराने धमकाने, पर्यावरण के नुकसान, धूल मिट्टी से कृषि, फसलों सब्जियों व जनता की सेहत को होने वाले नुकसान के खिलाफ हिमाचल किसान सभा व सीटू ने नेशनल हाइवे ऑथोरिटी ऑफ इंडिया एनएचएआई के हिमाचल प्रदेश के क्षेत्रीय कार्यालय चक्कर शिमला के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में हिमाचल किसान सभा अध्यक्ष डॉ कुलदीप सिंह तंवर, सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, संयुक्त किसान मोर्चा के सह संयोजक संजय चौहान, जय शिव ठाकुर, फोरलेन प्रभावित रंजना वर्मा, रीना रपटा, सपना चौहान, एल आर कौंडल, चंद्रकला, बृज लाल झांगटा, अजय कश्यप, हेतराम ठाकुर, रूप राम, सुशील कुमार, चेतन गर्ग, ध्रुव चौहान, पूर्व प्रधान कोट पंचायत हीरानंद शांडिल, शोधी पंचायत प्रधान पार्वती देवी, योगेश वर्मा, बालकृष्ण, हीरानंद, अशोक,सुरेश वर्मा, योगेश्वर दत्त, सुशील, जगदीश शर्मा, जोगिंद्र, भूप राम, सोहन सिंह, नेक राम, अनिल मेहता, विजेंद्र मेहता, कौशल्या, वीना मेहता, रोशनी, अनूप, अरुण वर्मा, योगेश, सन्नी, जगमोहन ठाकुर, डॉ राजेंद्र चौहान, डॉ विजय कौशल, विवेक कश्यप, प्रताप ठाकुर, कपिल शर्मा, अंकित दुबे, अनिल ठाकुर, सुनील वशिष्ठ, मेहर सिंह पाल, राम प्रकाश, रंजीव कुठियाला, प्रताप चौहान, दलीप सिंह, संजय सामटा, अशोक कुमार, नवीन आदि शामिल रहे। इसके बाद हिमाचल किसान सभा व सीटू का एक प्रतिनिधिमंडल एनएचएआई क्षेत्रीय निदेशक से मिला व प्रभावितों को तुरंत फौरी राहत व मुआवजे एवं अन्य सभी मांगों के समाधान की मांग की। प्रतिनिधिमंडल ने एनएचएआई से गावर कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने की मांग की।
शिमला के चक्कर में एनएचएआई कार्यालय पर हुए प्रदर्शन को संबोधित करते हुए डॉ कुलदीप सिंह तंवर, विजेंद्र मेहरा, संजय चौहान, जयशिव ठाकुर ने कहा कि अगर किसानों मजदूरों व आम जनता की मांगों का तुरंत समाधान न हुआ तो एनएचएआई व गावर कंपनी के खिलाफ जनता व प्रभावितों को लामबंद करते हुए 7 अगस्त को विशाल प्रदर्शन होगा। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में राजनीतिज्ञों, कंपनियों व अफसरशाही का मजबूत गठजोड़ बन गया है जो प्रदेश के संसाधनों व जनता की भारी लुट के रहा है। इन तीनों के गठजोड़ का हालिया उदाहरण शिमला व मंडी के धर्मपुर में फोरलेन व नेशनल हाइवे निर्माता एनएचएआई व गावर कंपनी की अराजक कार्यप्रणाली है। ये दोनों हिमाचल प्रदेश में नियमों को ताक पर रखकर कार्य कर रहे हैं जिससे प्रदेश में कई घरों, जमीनों, गौशालाओं, स्कूलों व जनसंसाधनों को भारी नुकसान हुआ है। मंडी जिला के धर्मपुर में इसने सड़क निर्माण के दौरान भयंकर तबाही की है जिस कारण निर्माणाधीन पुल गिर गया है व स्कूल गिरने के कगार पर है। इस कंपनी की अवैज्ञानिक कटिंग, माइनिंग, डंपिंग के कारण शिमला में भी भारी नुकसान हुआ है। शिमला में एक घर का जमींदोज हो जाना व अन्य आठ दस घरों पर खतरा मंडराना इसकी अराजक कार्यप्रणाली के सबूत हैं। शिमला में एनएचएआई व फोरलेन निर्माता कम्पनियों गावर, भारत व सिंगला द्वारा स्थानीय लोगों को कोई रोजगार नहीं दिया जा रहा है। इन कंपनियों के पास कार्यरत सैंकड़ों मजदूरों की जिंदगी बेहाल है। दर्जनों मजदूरों को छोटे छोटे कमरों में भेड़ बकरियों की तरह रखा गया है। उनसे बारह घंटे कार्य लिया जा रहा है परंतु उन्हें आठ घंटे का वेतन भी नहीं दिया जा रहा है। उन्हें ईपीएफ, ईएसआई, छुट्टियों की सुविधा नहीं दी जा रही है। उन्हें समय पर वेतन नहीं दिया जाता है। कई बार महीनों बीतने पर भी वेतन नहीं मिलता है। उन्हें हिमाचल प्रदेश विधानसभा के वर्ष 2003 के कानून के बावजूद आई कार्ड तक की सुविधा नहीं दी गई है। मेस में बेहद घटिया किस्म का खाना खिलाया जाता है। श्रम कानूनों को लागू करने व इन समस्याओं के समाधान के लिए जब मजदूर मांग करते हैं तो उन्हें डराया धमकाया जाता है। उन पर हरियाणा पंजाब से लाए गए बाउंसरों व स्थानीय गुंडों के जरिए शारीरिक हमले किए जाते हैं जिसकी कई रिपोर्टें पुलिस के पास भी दर्ज हैं। श्रम कानूनों पर एनएचएआई व श्रम विभाग की खामोशी, मजदूरों पर हमलों पर पुलिस की खामोशी व स्थानीय लोगों को हिमाचल प्रदेश की औद्योगिक नीति के अनुसार अस्सी प्रतिशत रोजगार न देने पर प्रदेश सरकार की खामोशी कई सवाल खड़े करती है। हिमाचल के पहाड़ों को अवैज्ञानिक कटिंग के जरिए भारी नुकसान पहुंचाने, अवैध डंपिंग व माइनिंग से साफ है कि प्रदेश सरकार व प्रशासन ने एनएचएआई व निर्माण कंपनियों को खुली छूट दे रखी है। मजदूरों को न्यूनतम वेतन न देने से बचाए जा रहे पैसे से सरकार के कुछ लोगों, ठेकेदारों, बाउंसरों गुंडों व प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा भारी वसूली व कमीश्नखोरी की जा रही है। हिमाचल की राजधानी शिमला में इन कंपनियों की बाउंसर व गुंडा संस्कृति के खिलाफ सीटू प्रतिनिधिमंडल दो महीने पहले भी पुलिस अधीक्षक से मिलकर उचित कार्रवाई की मांग के चुका है परंतु कोई ठोस पहलकदमी नहीं हुई है।
सीटू व हिमाचल किसान सभा ने मांग की है कि गावर कंपनी के फोरलेन निर्माण के कारण ध्वस्त हुए मकान व जद में आए अन्य मकानों, जमीन को हुए नुकसान, लिंक रोड़ व स्थानीय रास्तों का एनएचएआई द्वारा उचित मुआवजा दिया जाए जोकि अभी तक एक भी रुपए नहीं दिया गया है। केंद्र सरकार की नियमावली व हिमाचल प्रदेश के उच्च न्यायालय के निर्णयानुसार सड़क निर्माण के लिए एनएचएआई द्वारा अधिगृहित जमीन का फैक्टर दो अनुसार चार गुणा मुआवजा दिया जाए। अवैज्ञानिक तरीके से हो रहे सड़क निर्माण के कारण अधिगृहित जमीन के अलावा गिर रही इर्द गिर्द की जमीन का उचित मुआवजा दिया जाए व उसका रखरखाव किया जाए। सड़क निर्माण से उत्पन्न हो रही धूल मिट्टी का प्रभावितों को डस्ट अलाउंस दिया जाए। गावर भारत सिंगला फोरलेन कंपनियों द्वारा एनएचएआई की सड़क परियोजनाओं में हिमाचल प्रदेश की औद्योगिक नीति अनुसार स्थानीय लोगों को 80 प्रतिशत रोजगार दिया जाए। इन कंपनियों के सड़क निर्माण द्वारा हुए प्रभावितों को नियमानुसार उचित मुआवजा दिया जाए। नियमों की अनदेखी पर गावर भारत सिंगला फोरलेन कंपनियों व मुख्य नियोक्ता नेशनल हाइवे ऑथोरिटी ऑफ इंडिया पर सख्त कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाए। श्रम कानूनों की अवहेलना पर एनएचएआई व श्रम अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। इन कंपनियों की अवैध माइनिंग व डंपिंग बंद की जाए। इन कंपनियों के अवैज्ञानिक सड़क निर्माण पर रोक लगाई जाए। इन कंपनियों में मजदूरों के लिए श्रम कानून लागू किए जाएं। इन कंपनियों के बाउंसरों गुंडों पर कार्रवाई की जाए। इन कंपनियों व प्रशासन की मिलीभगत पर कार्रवाई की जाए।