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‘बिष्टि लाणी’ ‘ अंतोन चेखव द्वारा रचित प्रपोज़ल ‘ का पहाड़ी रूपांतरण नाटक प्रस्तुत

शिमला-27 मार्च (rhnn) : विश्व रंगमंच दिवस पर 27 मार्च 2024 को दि बिगनर्स सोसाइटी शिमला, भाषा एवम संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश तथा गेयटी ड्रामेटिक सोसायटी द्वारा गेयटी थियेटर शिमला के कान्फ्रेंस हाल में कार्यक्रम आयोजित किया गया । इस अवसर पर भारती कुठियाला सदस्या, फिल्म प्रमाणन बोर्ड एवं उपाध्यक्ष हिम सिने सोसाइटी एक सोच द्वारा संपादित पुस्तक ‘गेयटी के रंगचर ‘ पुस्तक का विमोचन विश्व प्रसिद्ध नाट्य निर्देशक रंगकर्मी और दो बार सांस्कृतिक राजनयिक रहे पद्म श्री श्री बलवन्त ठाकुर , डा रीटा वशिष्ट , सदस्य सचिव विधि आयोग , एवं श्रीयुत श्री एस एन जोशी के करकमलों द्वारा किया गया।

कार्यक्रम के मुख्यातिथि पद्मश्री बलवंत ठाकुर ने कहा की रंगमंच के लिए परले दर्जे के पागलपन का जनून होना आवश्यक हैं । रंगमंच पूरे समाज परिभाषित और प्रदर्शित करता है ।हमे नाटक के विस्तार के लिऐ एकजुट होकर कार्य करना होगा। थियेटर के लिए मार्केटिंग की आवश्कता है किंतु हमे उस दृष्टि से रंगमंच मैं परिपक्व एवम समृद्ध होना आवश्यक है। वशिष्ठ अतिथि सदस्य सचिव भारतीय विधि आयोग डॉ रीटा वशिष्ठ ने रंगकर्मियों के संग नए अहसास की अनुभूति होने की बात कबूली। निदेशक सूचना एवम जनसंपर्क विभाग आरती गुप्ता ने रंगकर्म के पुराने दिनों का संस्मरण करते हुए बलवंत ठाकुर के निर्देशन में किए गए नाटक को याद किया। निदेशक भाषा संस्कृति विभाग डॉ पंकज ललित ने संगोष्ठी में रखे गए बिंदुओं पर विभागीय कार्यवाही अमल में लाने का आश्वासन दिया । बलवंत ठाकुर द्वारा सुझाए गए बिंदुओं को व्यवहारिक बनाने के प्रति विचार करने का भी आश्वासन दिया।

स्वागत संबोधन मैं भारती कुठियाल ने पुस्तक प्रकाशन के लिए सभी रंगकर्मियों के सहयोग के लिऐ आभार व्यक्त किया । रंगकर्म संगोष्ठी कार्यक्रम में रंगमंच के विभिन्न आयामों पर प्रबोधन के तहत कार्यक्रम के अध्यक्ष श्री श्रीनिवास जोशी जी के आलेख गेयटी की आरंभिक यात्रा के अन्तर्गत विस्तृत तत्कालीन शिमला रंगमंच पर आधारित पत्र पाठन रंगकर्मियों के लिए अत्यंत ज्ञानवर्धक रहा।

आधुनिक रंगमंच में प्राचीन संस्कृत नाट्य परम्परा का समावेश विषय पर विस्तार से जानकारी दी कला मर्मज्ञ, नाट्य समीक्षक श्री रविन्द्र त्रिपाठी ने। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से स्नातक प्रसिद्ध रंगकर्मी लेखिका सुश्री असीमा भट्ट ने रंगमंच में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की भूमिका पर अपने विचार रखे और देश व विदेश में नाटक के विस्तार के लिए योगदान पर प्रकाश डाला ।बाल शिक्षा और रंगमंच पर विस्तार से चर्चा करते हुए प्रसिद्ध नाट्य निर्देशक, प्रशिक्षित रंग शिक्षिका राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय नई दिल्ली स्नातक अमला राय ने शिक्षण संस्थाओं में रंगमंच की आवश्यकताओं पर विचार रखे। सायं गेयटी थियेटर में असीमा भट्ट द्वारा लिखित और निर्देशित नाटक ‘द्रौपदी ‘ का एकल अभिनय प्रस्तुत किया गया।

दी विगनर्स सोसाइटी द्वारा ‘बिष्टि लाणी’ ‘ अंतोन चेखव द्वारा रचित प्रपोज़ल ‘ का पहाड़ी रूपांतरण नाटक प्रस्तुत भी किया। कार्यक्रम में प्रवीण चंदला, कमल मनोहर शर्मा, भूपेंद्र शर्मा, दयाल प्रसाद , धीरज रघुवंशी, नीरज रघुवंशी, संजय सूद,जवाहर कॉल, केदार ठाकुर, शौर्य वीर सागर, तेजू शर्मा नीरज पाराशर, रूपेश भीमटा ,कपिल देव शर्मा, श्रुति रोहटा तनु प्रिया भारद्वाज, संजीव अरोड़ा, सनम सोनू सामटा, पलक शर्मा, कृतिका, कर्नल रमेशशर्मा सोलन, राधा सिंह, स्नेह नेगी अर्श ठाकुर के प्रभावपूर्ण मंच संचालन ने कार्यक्रम को अत्यंत प्रभावी बनाया

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