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रावलपिंडी-इस्‍लामाबाद के बीच दूरी बढ़ी? सेना प्रमुख बाजवा का भारत के प्रति उदार दृष्टिकोण के क्‍या हैं मायने

पाकिस्‍तान में राजनीतिक संकट के बीच सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा का एक चौंकाने वाला बयान सामने आया है। बाजवा ने कहा कि भारत इच्‍छा जताए तो पाकिस्‍तान कश्‍मीर समेत सभी विवादित मुद्दों का वार्ता व कूटनीति के जरिए समाधान निकालने के लिए तैयार है। बाजवा का यह बयान ऐसे समय आया है, जब पाकिस्‍तान में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल है। इमरान खान की सरकार संकट में है। ऐसे में पाकिस्‍तानी सेना प्रमुख बाजवा का यह बयान काफी मायने रखता है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्‍या रावलपिंडी स्थित सेना मुख्‍यालय और राजनीति सत्‍ता का केंद्र इस्‍लामाबाद के बीच दूरी बढ़ गई है? उनके बयान के आखिर निहितार्थ क्‍या हैं? कहीं उनके बयान के पीछे बाजवा की राजनीतिक महत्‍वकांक्षा तो नहीं? आइए जानते हैं कि इस पर विशेषज्ञों की क्‍या राय है।

प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि पाकिस्‍तानी सेना प्रमुख ने भारत के साथ संबंधों में उदार दृष्टिकोण दिखाकर दूर की चाल चली है। उन्‍होंने कहा कि बाजवा ने एक तीर से कई निशानों को साधने की कोशिश की है। उनके इस बयान का पाकिस्‍तान की आंतरिक राजनीति और कूटनीतिक पहलू है। उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब पाकिस्‍तान में इमरान सरकार संकट से गुजर रही है। वह विपक्ष के अव‍िश्‍वास प्रस्‍ताव का सामना कर रही है। भारत की आंतरिक राजनीति में भी भारत एक अहम पहलू रहा है। वहीं दूसरी ओर इस बयान के बाद वह अमेरिका को भी यह संदेश देना चाहते हैं कि वह भारत के साथ कूटनीतिक रिश्‍ते कायम करना चाहते हैं। उनके देश की विदेश नीति स्‍वतंत्र है। वह चीन के इशारे पर नहीं संचालित होती है। यह कहीं न कहीं अमेरिका को खुश करने की चाल हो सकती है।

प्रो. पंत ने कहा कि बाजवा का यह बयान ऐसे समय आया है, जब पाकिस्‍तान और अमेरिका के संबंध बड़े कठिन दौर से गुजर रहे हैं। इमरान सरकार का चीन और रूस के साथ मधुर संबंध और अमेरिकी से बढ़ती दूरी ने पाकिस्‍तानी सेना को चिंता में डाल दिया है। पाकिस्‍तान सेना के लिए अमेरिका और पश्चिमी देशों के साथ रिश्‍ते अहम है। सेना अमेरिका व पश्चिमी देशों को नाराज नहीं करनी चाहती। रूस यूक्रेन संघर्ष में पाकिस्‍तान सरकार के स्‍टैंड से भी अमेरिका व पश्चिमी देश काफी नाखुश है। पाकिस्‍तान सेना अब भी अपने हथियारों के लिए काफी हद तक अमेरिका पर निर्भर है। इसलिए वह अमेरिका से संबंधों को बेहद खराब नहीं करना चाहता।

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