शिमला-20 मई (RHNN)- हिमाचल प्रदेश के पूर्व स्वास्थ्य निदेशक डॉ. राकेश शर्मा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। रिटायरमेंट के कई साल बाद उन्हें बेटे तुषार की वजह से CBI जांच का सामना करना पड़ेगा। सूत्रों की मानें तो उनके बेटे द्वारा SBI से लिए गए लोन में फर्जीवाड़े के साक्ष्य प्रारंभिक जांच में हैं। इस आधार पर CBI ने मामला दर्ज कर लिया है। बताया जा रहा है कि तुषार ने ऊना में SBI से करीब डेढ़ करोड़ रुपए की CC लिमिट, 2 करोड़ रुपए का टर्म लोन लिया था। लोन लेते वक्त गारंटी के गलत दस्तावेज दिए गए। बैंक को बताया गया कि खाद्य तेल की पैकिंग, बोतल व तेल बनाने इत्यादि का काम शुरू कर दिया गया है। जांच में पता चला कि उद्योग विभाग से फर्म को पंजीकृत ही नहीं कराया गया।इसमें पिता एवं पूर्व स्वास्थ्य निदेशक राकेश शर्मा गारंटर थे। तुषार पर आरोप है कि उन्होंने लोन के लिए गलत दस्तावेज दिए और ऋण भी नहीं चुकाया। इसलिए CBI ने गारंटर डॉ. राकेश शर्मा को भी मामले में आरोपी बनाया है।
डॉ. शर्मा कई साल पहले स्वास्थ्य निदेशक पद से रिटायर हो चुके हैं। उनकी एक ईमानदार अधिकारी की छवि रही है। उनके साथ साथ मैसर्स तनिष्क एग्रो वेंचर प्राइवेट लिमिटेड, निदेशक तुषार शर्मा, उसकी पत्नी निदेशक श्वेता शर्मा, निशा गारंटर को भी लोन फर्जीवाड़े में आरोपी बनाया गया है। इस फर्जीवाड़े में बैंक के कुछ अधिकारियों व कर्मचारियों को भी नामजद किया गया है। जैसे जैसे मामले की जांच आगे बढ़ेगी, बैंक अधिकारियों व कर्मियों के नाम भी सामने आएंगे। SBI के क्षेत्रीय कार्यालय ऊना के क्षेत्रीय अधिकारी राजेश कौंडल ने फर्जीवाड़े की शिकायत CBI के बैंक सेल को दिल्ली में भेजी थी। इसमें 3.43 करोड़ का फर्जीवाड़ा होने के आरोप लगाए गए थे। CBI ने इस शिकायत को शिमला ब्रांच में भेजा। प्रारंभिक जांच के बाद ही मामला दर्ज किया गया है।