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मकर सक्रांति , अंधकार से प्रकाश की ओर

शिमला-14 जनवरी (rhnn) :  प्रार्थना शब्दों से नहीं ह्रदय से होनी चाहिए , क्योंकि ईश्वर उनकी भी सुनते हैं जो बोल नहीं सकते

मकर सक्रांति पूरे भारत और नेपाल में किसी ना किसी रूप में मनाया जाता है। पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है तो इस पर्व को मनाया जाता है।  इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है। मकर का अर्थ मकर राशि और संक्रांति का अर्थ संक्रमण यानि मकर राशि पर सूर्य  संक्रमण का होता है । कुछ राज्य इसे उतारायण और मकर संक्रांति के रूप में मनाते हैं कुछ इस दिन पोंगलऔर भगोली बिहू के तौर पर मनाते हैं । प्रकाश में वृद्धि के कारण मनुष्य की शक्ति में भी वृद्धि होती है । इस दिन से रात छोटी और दिन बड़े होने लगते हैं । दिन का बड़ा होने से सूर्य की रोशनी अधिक होगी और रात छोटी होने से अंधकार कम इसलिए मकर संक्रांति पर सूर्य की राशि में हुए परिवर्तन को अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर माना जाता है ।

खिचड़ी खाने का महत्व

इस दिन खिचड़ी खाने का भी विशेष महत्व है , चावल को चंद्रमा का प्रतीक,  उड़द दाल को शनि का हरी सब्जियों का संबंध बुध से माना जाता है । इसलिए मान्यता है कि इस दिन खिचड़ी खाने से राशि में ग्रहों की स्थिति मजबूत होती है मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर तिल गुड़ के पकवान के साथ ही दही चुरा और खिचड़ी खाने का भी विशेष महत्व है । हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का विशेष महत्व है, मान्यता है कि इस दिन स्वर्ग के द्वार खुल जाते हैं । ऐसे में जो व्यक्ति मकर संक्रांति के दिन गंगा में स्नान करता है उसके सभी पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है ।

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