शिमला-10 फरवरी (rhnn) : नगर निगम शिमला के चुनाव के लिए वार्डों की डिलिमिटेशन दोबारा से नहीं की जाएगी। वर्ष 2017 में हुए चुनाव के दौरान हुई डिलिमिटेशन के आधार पर ही चुनाव होंगे, यानी 2017 के चुनाव में निर्धारित की गई वार्डों की सीमाओं में कोई बदलावा नहीं होगा। हाल ही में नगर निगम शिमला में चुनाव के लिए राज्य चुनाव आयुक्त की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में सुप्रीम कोर्ट में होने वाली अगली सुनवाई के बाद शिमला शहर में चुनाव की घोषणा करने की पूरी तैयारी कर दी गई है। बैठक में चर्चा की गई कि चुनाव किस तरह से करवाए जाने हैं और राज्य सरकार ने इस मामले में जो अध्यादेश लाया है, उसे किस तरह लागू किया जाना है। जिला प्रशासन को 34 वार्डों की मतदाता सूची नए सिरे से तैयार करनी होगी। इसके साथ ही बूथ की मैपिंग का काम भी शुरू दिया गया है। इस मामले में 13 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। सुप्रीम कोर्ट में जवाब दायर करने के बाद जो आदेश जारी किए जाएंगे, उसके मुताबिक जिला प्रशासन को चुनाव का शेड्यूल जारी किया जाना प्रस्तावित है। राजधानी शिमला में पूर्व मेयर व डिप्टी मेयर सहित पार्षदों का कार्यकाल आठ महीने पहले खत्म हो चुका है। पिछले साल 18 जून को इनके कार्यकाल का अंतिम दिन था। सरकार ने नगर निगम को चलाने का काम प्रशासक को सौंप रखा है। अब कयास लगाए जा रहे हैं कि जल्द ही निगम के चुनाव शहर में करवाए जा सकते हैं।
राजधानी शिमला में वार्डों के पुनर्सीमांकन पर शुरू से ही विवाद हो रहा था। भाजपा की पूर्व सरकार ने जब पुनर्सीमांकन किया तो ही कांग्रेस इसे राजनीतिक आधार पर वार्डबंदी करार देते हुए इसका विरोध कर रही थी। पूर्व सरकार ने शहर के वार्डों की संख्या को 34 से बढ़ाकर 41 कर दिया था। इसके लिए कानून में संशोधन किया था। कांग्रेस उस समय भी आरोप लगा रही थी कि शिमला शहर के वार्डों को राजनीतिक आधार पर बांटा जा रहा है। कांग्रेस ने सत्ता में आते ही वार्डों की संख्या को फिर 41 से 34 करने के लिए अध्यादेश लाया था। इसे कैसे लागू किया जाना है, इस पर चर्चा के बाद बुधवार को आयोग ने फैसला लिया है।
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