शिमला-04 अगस्त (rhnn) : हिमाचल प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री और हिमाचल निर्माता डॉ यशवंत सिंह परमार की 117वीं जयंती है, इस मौके पर शिमला के रिज मैदान पर यशवंत सिंह परमार की प्रतिमा पर पक्ष और विपक्ष के नेताओं ने एक साथ श्रद्धा सुमन अर्पित किए और प्रदेश विधानसभा में श्रद्धांजली समारोह में हिमाचल निर्माण में यशवंत सिंह परमार के योगदान को याद किया। इस मौके पर विधानसभा के अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर, कैबिनेट मंत्री हर्षवर्धन चौहान, रोहित ठाकुर, विक्रमादित्य सिंह और सीपीएस मोहनलाल, मेयर सुरेंद्र चौहान मौजूद रहे और विपक्ष से विधायक बलवीर वर्मा, रीना कश्यप ने भी डॉ. परमार को श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
इस मौके पर हिमाचल निर्माण में यशवंत सिंह परमार के योगदान को याद करते हुए विधानसभा के अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि हिमाचल के निर्माण में डॉक्टर परमार का महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के आज के स्वरूप की आधारशिला उन्होंने रखें और हिमाचल को राज्य बनाने से लेकर पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने तक हर क्षेत्र में डॉ यशवंत परमार ने अपना योगदान दिया।
नेता विपक्ष जयराम ठाकुर ने डॉ यशवंत सिंह परमार के योगदान को याद करते हुए कहा कि जब हिमाचल के राज्य बनने की संभावनाएं कम थी ऐसे समय में डॉक्टर परमार ने आगे आकर हिमाचल के राज्य बनने को मूर्त रूप देने के लिए प्रयास किए। नेता विपक्ष ने डॉक्टर परमार की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उस समय प्रदेश की आर्थिकी बहुत कमजोर थी ऐसे में हिमाचल की वन संपदा को कैसे प्रदेश की ताकत बनाया जाए और हिमाचल वासियों के पीठ के बोझ को किस तरह कम किया जाए डॉ. परमार ने इस दिशा में काम किया और यही आज हम सबका भी दायित्व है।
बता दें कि साल 1952 से 56 तक यशवंत सिंह परमार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे तब हिमाचल सी श्रेणी का राज्य हुआ करता था। इसके बाद साल 1963 से 71 तक हिमाचल प्रदेश केंद्र शासित प्रदेश रहा। इस दौरान प्रदेश में प्रशासन चलाने की जिम्मेदारी टेरिटोरियल काउंसिल की थी और यशवंत सिंह परमार इस पूरे दौर में टेरिटोरियल काउंसिल के मुखिया रहे. वर्ष 1971 में हिमाचल को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला जिसके बाद आज के हिमाचल का रूप बना और यशवंत सिंह परमार साल 1971 से 77 तक हिमाचल के मुख्यमंत्री के पद पर काबिज रहे। यशवंत सिंह परमार पहले पछाद और फिर रेणुका जी विधानसभा सीट से विधानसभा पहुंचे। परमार को प्रदेश के सादगी पसंद मुख्यमंत्री के तौर पर याद किया जाता है।