शिमला-24 जुलाई (rhnn) : हिमाचल प्रदेश का करीब 68 फीसदी इलाका वन्य क्षेत्र से घिरा हुआ है। इस इलाके में एक अलग वन्य खाद्य संस्कृति विकसित है। फास्ट फूड और आधुनिक खानपान के इस दौर में हम इस दुर्लभ खाद्य संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं। इन्हीं विशिष्ट जंगली खाद्य पदार्थों की विविध और समृद्ध विरासत का जश्न मनाने के लिए शिमला के राजकीय कन्या महाविद्यालय (आरकेएमवी) और हिमाचल प्रदेश विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पर्यावरण परिषद (हिमकोस्ट) ने 25 से 27 जुलाई के बीच वन्य भोज महोत्सव का आयोजन किया है। इस महोत्सव में प्रदेश के हर वन्य क्षेत्र के प्रसिद्ध व स्वदिष्ट व्यंजनों को न केवल परोसा जाएगा बल्कि उसे बनाने की विधि बताने के साथ उसके औषधीय गुणों के बारे में जानकारी दी जाएगी।
आरकेएमवी के विज्ञान संकाय के नेतृत्व और गृह विज्ञान और पर्यटन व यात्रा प्रबंधन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस वन्य भोज महोत्सव में लाइव कुकिंग प्रदर्शन, पोस्टर मेकिंग और नारा लेखन प्रतियोगिता सहित तमाम कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इस प्रतियोगिता में प्रदेश के विभिन्न कालेजों के विद्यार्थी, प्रतिष्ठित होटलों के शेफ व पाक विशेषज्ञ हिस्सा लेंगे। इस मौके पर वन्य खाद्य पदार्थों से जुड़े पाक विशेषज्ञ व्याख्यान भी देंगे।
आरकेएमवी की प्राचार्य प्रो अनुरिता सक्सेना ने ये जानकारी देते हुए यहां बताया कि हिमाचल प्रदेश में वन्य खाद्य पदार्थों की शानदार परंपरा रही है। इस आयोजन का मकसद जंगली खाद्य पदार्थों की विविध और समृद्धशाली विरासत को प्रासंगिक व जीवन्त बनाए रखना है। इस तरह के आयोजनों से न केवल नई पीढी जागरुक होती है बल्कि विरासत को भी सहेजने में मदद मिलती है।
विज्ञान संकाय की डीन प्रो कार्तिक चौहान ने बताया कि नए स्वादों की खोज, टिकाऊ प्रथाओं को सीखने और भरपूर प्रकृति के इस जश्न के मौके पर कालेज प्रांगण में विभिन्न कार्यक्रम व प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी। 25 जुलाई को नारा लेखन व पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता का आयोजन व 26 जुलाई को पाककला प्रतियोगिता होगी। 27 जुलाई को समापन समारोह में मुख्य अतिथि पद्मश्री से अलंकृत नेकराम शर्मा के कर कमलों से विजेताओं को प्रशस्ति पत्र व पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।
वन्य भोज महोत्सव का आयोजन 25 से 27