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ठियोग में टैंकरों से पानी की आपूर्ति घोटाले में हो सकती हैं कई गिरफ्तारियां, FIR दर्ज

शिमला 04 फरवरी (rhnn) : ठियोग में पिछले साल गर्मियों में टैंकर से पानी की आपूर्ति के नाम पर लाखों का घोटाला सामने आया है। टैंकरों से पानी की आपूर्ति के लिए ठेकेदार को एक करोड़ रुपये से ज्यादा का भुगतान किया गया। टैंकरों के नाम पर जिन वाहनों के नंबर दिए गए, उनमें मोटरसाइकिल एवं कारों के अलावा एक अफसर की सरकारी गाड़ी भी शामिल है। दो ऐसे गावों में टैंकरों से पानी की आपूर्ति दर्शाई गई, जहां सड़क नहीं है। ठियोग के पूर्व विधायक राकेश सिंघा ने ठियोग उपमंडल में पानी की आपूर्ति में बड़े घोटाले का आरोप लगाया था।

टैंकरों से पानी की आपूर्ति में हुए करोड़ों के गड़बड़झाले में विजिलेंस ने आखिर एफआईआर दर्ज कर ली है। प्रारंभिक जांच को आधार बनाते हुए यह केस दर्ज किया गया है। इस मामले में कौन-कौन आरोपी हैं, अब विजिलेंस थाना इसकी जांच करेगा। उधर, जलशक्ति विभाग के निलंबित इंजीनियरों और ठेकेदारों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। आरोपियों को पूछताछ के लिए विजिलेंस थाना बुलाया जाएगा। आने वाले दिनों में इस मामले में कई गिरफ्तारियां हो सकती हैं। विजिलेंस ब्यूरो की प्रारंभिक जांच में पाया गया है कि जल शक्ति विभाग के निलंबित इंजीनियरों, ठेकेदारों और लोगों के बयान आपस में मेल नहीं खा रहे हैं। जल शक्ति विभाग की ओर से जारी किए गए टेंडर की शर्तों के मुताबिक कार्य नहीं हुआ है। शर्तों के मुताबिक ठियोग के लेलू पुल के पास से स्वच्छ पानी की सप्लाई की जानी थी, लेकिन जांच में सामने आया है कि ठेकेदार ने इस स्थान से टैंकरों और पिकअप में पानी भरा ही नहीं। टैंकर और पिकअप के चालकों ने नालों से पानी भरकर लोगों पिला दिया।

शिमला जिले के ठियोग विधानसभा क्षेत्र में ठेकेदारों ने जल शक्ति विभाग के दफ्तर में कर्मचारियों के साथ मिलकर बिल तैयार किए हैं। इसमें निलंबित इंजीनियरों, लिपिक की लापरवाही सामने आई है। अधिशासी अभियंता ने जूनियर इंजीनियरों की ओर से तैयार बिल बिना जांचे आगे सरका दिए। पैसा जारी करने के लिए फाइल एसडीएम को भेजी गई। इसके बाद इन ठेकेदारों को पेमेंट जारी कर दी गई। विजिलेंस ने अब तक 90 लोगों से पूछताछ कर उनके बयान दर्ज किए हैं। यह पूछताछ एसडीएम ठियोग, निलंबित इंजीनियर, टैंकर चालकों और ठेकेदारों से हुई है। विजिलेंस ब्यूरो ने सरकार को भी प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सौंपी थी। गृह विभाग ने इस मामले में कानूनी राय भी ली है।

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