शिमला 20 सितंबर 2025 (RHNN) : हिमाचल की संस्कृति और परंपराओं को मंच से लेकर गीत-संगीत तक जीवित रखने वाले प्रसिद्ध लोक गायक इंद्रजीत ने शनिवार को राजभवन जाकर राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल से शिष्टाचार भेंट की। इस दौरान दोनों के बीच हिमाचली लोक संस्कृति को संजोने और इसे नई पीढ़ी तक पहुँचाने को लेकर गहन चर्चा हुई।
इंद्रजीत ने राज्यपाल को बताया कि वह शुरू से ही गीत-संगीत, बोली, वस्त्र, टोपी और परंपराओं के माध्यम से प्रदेश की असली पहचान को आगे बढ़ाने का प्रयास करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि संस्कृति का अर्थ केवल गीत-संगीत तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें सभ्यता, जीवन दर्शन, भाषा और पहनावा भी शामिल है। यही झलक वह हमेशा मंच से सामने लाने की कोशिश करते हैं। उन्होंने कुल्लवी टोपी की अलग पहचान को लेकर किए गए प्रयासों का भी जिक्र किया। इंद्रजीत ने बताया कि उन्होंने बीच में मोर की कलगी की जगह चांदी की कलगी को प्रचलन में लाकर लोगों के बीच नई पहचान दी, जिसे लोगों ने खूब पसंद किया।
राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने इंद्रजीत के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि संस्कृति को जीवित रखने में उनका योगदान उल्लेखनीय है और वे आगे भी इसी तरह समाज में अपनी परंपराओं को संजोते रहें। गौरतलब है कि 2016 में आया इंद्रजीत का सुपरहिट गीत ‘हाड़े मेरे मामुआ’ ने उन्हें घर-घर में पहचान दिलाई थी। आज वह न केवल हिमाचल बल्कि अन्य राज्यों में भी लोक संस्कृति के संवाहक के रूप में पहचाने जाते हैं।