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निरंकारी सामूहिक विवाह में 126 जोड़े बंधे परिणय सूत्र में

समालखा/शिमला, 06 नवम्बर (RHNN) : 78वें निरंकारी संत समागम के समापन उपरांत समालखा में सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज और निरंकारी राजपिता रमित जी की गरिमामयी उपस्थिति में सादगीपूर्ण सामूहिक विवाह समारोह का आयोजन हुआ। इस अवसर पर भारत के विभिन्न राज्यों के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया और कनाडा से आए कुल 126 नवविवाहित जोड़ों ने सरलता और एकता का अद्भुत संदेश देते हुए विवाह बंधन में बंधकर नवजीवन की शुरुआत की।

समारोह में सबसे पहले परंपरागत जयमाला और निरंकारी ‘सांझा-हार’ की रस्म निभाई गई। इसके बाद भक्तिमय माहौल में हिंदी भाषा में निरंकारी लावों का गायन हुआ, जिनकी प्रत्येक पंक्ति नव दंपत्तियों को वैवाहिक जीवन में संतुलन, सहयोग और आध्यात्मिकता का संदेश देती रही। सतगुरु माता जी और राजपिता जी ने सभी जोड़ों पर पुष्पवृष्टि कर उन्हें प्रेम, समर्पण और आनंद से भरे दांपत्य जीवन का आशीर्वाद प्रदान किया। इस अवसर पर सतगुरु माता सुदीक्षा जी ने अपने आशीर्वचन में कहा कि विवाह केवल दो व्यक्तियों का नहीं, बल्कि दो परिवारों का पवित्र संगम है। यह जीवनभर साथ निभाने, समझ और सम्मान की साझेदारी है। उन्होंने कहा कि जैसे लावों में बताया गया है, यदि जीवन के किसी चरण पर एक साथी कमजोर पड़े तो दूसरा उसे संभाले—यही संतुलन वैवाहिक जीवन की सुंदरता है।

समारोह में मिशन के वरिष्ठ अधिकारी, श्रद्धालु और वर-वधू के परिजन बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। संत निरंकारी मंडल के सचिव जोगिंदर सुखीजा ने बताया कि समाज कल्याण विभाग के सहयोग से प्रतिवर्ष आयोजित होने वाला यह विवाह समारोह जाति, धर्म और प्रांत से ऊपर उठकर मानवता और एकत्व का प्रेरणादायी उदाहरण प्रस्तुत करता है।

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