शिमला-10 जनवरी (rhnn) : राजधानी शिमला में आजादी के 76 साल होने के बाद भी पीने के पानी का कनेक्शन नगर निगम शिमला की परिधि से बाहर न देने पर प्रदेश हाईकोर्ट ने कड़ा संज्ञान लिया हैं। न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने उमेश द्वारा दायर याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के दौरान राज्य सरकार और शिमला जल प्रबंधन को जवाब दायर करने के आदेश दिए। प्रार्थी ने अपनी याचिका में यह आरोप लगाया है कि उसने शिमला जल प्रबंधन के समक्ष पीने के पानी के लिए कनेक्शन देने हेतु आवेदन किया है। प्रबंधन ने मौखिक तौर पर प्रार्थी को बताया कि नगर निगम और प्रबंधन ने फिलहाल नगर निगम शिमला परिधि से बाहर पीने के पानी का कनेक्शन न देने का निर्णय पारित कर रखा है।
प्रार्थी के अनुसार, उसने लोअर खलीनी के भगवती नगर में स्थित माधव भवन में एक रिहायशी फ्लैट खरीद रखा है। यह भवन नगर निगम शिमला की सीमा पर बनाया गया है। इस भवन में निगम ने पीने के पानी के 3 कनेक्शन जारी किए हैं। दलील दी गई कि इस स्थान पर जल शक्ति विभाग की कोई पानी की स्कीम नहीं है। विभाग ने इस बाबत अनापत्ति प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया है कि प्रार्थी को निगम की ओर से पानी मुहैया करवाया जाए। प्रार्थी का कहना है कि आजादी के 76 वर्ष पूरे करने के बाद भी लोगों को पीने के पानी के लिए इस तरह से तरसना पड़ रहा है, जबकि पीने का पानी मुहैया करवाना सरकार का दायित्व होने के अलावा भारतीय संविधान में मौलिक अधिकार का दर्जा दिया गया है। मामले पर आगामी सुनवाई 12 जनवरी को होगी।