शिमला-18 जनवरी (rhnn) : पहले हम आउटसोर्स को समझते हैं, आउट मतलब बाहर,, सोर्स मतलब साधन ,,,यानी बाहर के साधन । सरकार खुद वैकेंसी ना निकाले और काम करने के लिए भी उसे कर्मचारियों की जरूरत हो, ऐसे में किसी थर्ड पार्टी से उस वैकेंसी को फिल कराया जाता है। उस थर्ड पार्टी से एग्रीमेंट किया जाता है, और उसे एक प्रकार का ठेका दे दिया जाता है कि अब उस के माध्यम से ही विभाग में कर्मचारियों की भर्ती की जाएगी। यानी यह कर्मचारी काम तो सरकार का या विभाग का करेंगे परंतु यह सरकारी कर्मचारी नहीं कहलाएंगे । एक आउटसोर्स कर्मचारी रेगुलर कर्मचारी के बराबर या उससे अधिक विभाग का काम करता है,, कई विभागों के महत्वपूर्ण पदों पर आउटसोर्स कर्मचारी कार्यरत है,, वह पूरी इमानदारी से अपना कार्य करते हैं ,, फिर भी उनके साथ सौतेला व्यवहार किया जाता है,, कभी सरकार द्वारा,, कभी विभाग द्वारा,, और कभी उनके सहकर्मियों द्वारा । आज के इस महंगाई के दौर पर जहां एक मजदूर प्राइवेट काम करते हुए ₹500 – ₹600 दिहाड़ी कम आता है,, वही यह आउटसोर्स कर्मचारी साडे ₹ 300 -₹ 400 प्रतिदिन के ऊपर काम करते हैं । वह भी इन्हें समय पर कई बार नहीं मिलती है ,,दो-तीन महीने तनख्वाह का इंतजार करना पड़ता है। सरकार ने नोटिफिकेशन तो है कि 7 तारीख तक सभी आउटसोर्स कर्मचारियों को सैलरी मिल जानी चाहिए ,, परंतु एजेंसी/ठेकेदारों की मनमानी के आगे कुछ भी नहीं । सरकार की नोटिफिकेशन के तहत आउटसोर्स कर्मचारियों को 12 CL, 6 मेडिकल और महिला कर्मचारी को मेटरनिटी लीव का भी प्रावधान है । पर इन छुट्टियों का भी कई बार आउटसोर्स कर्मचारियों को पूरा लाभ नहीं मिल पाता है । सूत्रों की माने तो प्रदेश में लगभग 30 से 35 हजार के करीब आउटसोर्स कर्मचारी कार्यरत हैं । उनमें से कुछ तो ऐसे हैं जिन्होंने अपने जीवन के 10 से 15 वर्ष सरकार को दिए हैं,,, परंतु सरकार विभाग इन्हें अपना नहीं मानता है । अभी हाल में ही कुछ विभागों से आउटसोर्स कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी,, अब वह लोग घरों में बैठ गए हैं,, ऐसा नहीं है कि विभागों विभागों में उन कर्मचारियों की जरूरत नहीं है,,, हो सकता है वह लोग राजनीति का शिकार हुए हो ,,, क्योंकि उन्हीं विभागों में कुछ समय बाद फिर से आउटसोर्स पर नियुक्तियां की जाएंगी। कुछ विभागों में आउटसोर्स कर्मचारियों को अभी हाल में ही सेवा विस्तार दिया गया है ,, परंतु आउटसोर्स के लिए पॉलिसी का खाका अभी भी तैयार नहीं किया गया है ।
किसी भी सरकार ने अभी तक आउटसोर्स पर पॉलिसी डॉक्यूमेंट नहीं बनाया है ,,अब इसके पीछे क्या कारण है ,, इन्हें भी समझते हैं ,,
नियम कहते हैं किसी भी पद पर नियुक्ति के लिए समान अवसर मिलने चाहिए यानी नियुक्ति की प्रक्रिया में सभी लोगों को आवेदन करने का मौका मिलना चाहिए। लेकिन आउटसोर्स पर सभी को समान अवसर नहीं मिलते हैं। कंपनी के थ्रू ही सारी प्रक्रिया पूरी की जाती है। आउटसोर्स पर जितने भी नियुक्तियां हुई हैं उनमें Roster भी लागू नहीं होता है ,,, नियमों के तहत सरकारी विभागों में नियुक्ति के लिए रोस्टर का फॉलो किया जाना जरूरी है। इसमें सामान्य श्रेणी, एससी, एसटी, ओबीसी के अलावा विकलांग, एक्स सर्विसमैन कैटेगरी को भी सीटें आरक्षित होती हैं ।
कंपनी के तहत लगे कर्मचारियों को अनुबंध पर लाने के लिए कई कानूनी बाधाएं हैं । यह बाधाएं पॉलिसी बनाते वक्त आड़े आ रही हैं। पॉलिसी बन जाने के बाद भी सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं,, यानी आउटसोर्स को अनुबंध पर लाने के बाद मामला कोर्ट तक पहुंच सकता है। सभी विभागों में आउटसोर्स की नियुक्तियां अलग-अलग तरह से हुई है ,, कुछ कर्मचारी विशेष स्कीम के तहत लगे हैं,, कुछ आउटसोर्स आधार पर,, कुछ की नियुक्ति सोसाइटी,,, तो कुछ निजी कंपनी के तहत रखे गए हैं । ऐसे में सभी कर्मचारियों के लिए एक जैसी पॉलिसी तैयार करना कठिन हो सकता है। फिलहाल सरकार को इन सारी मुश्किलों का सामना तो करना ही है ,,, साथ ही अपने वादे को भी निभाना है कि आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए पॉलिसी बनाई जाएगी।
सरकार का खजाना खाली है ,,, और चुनौतियां बहुत । OPS की घोषणा के बाद ,,, सरकारी दफ्तरों पर लगे आउटसोर्स कर्मचारी सरकार की तरफ आस लगाए बैठे हैं ,,,कि उनके लिए पॉलिसी शीघ्र बनाई जाएगी।