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बच्चों को पर्याप्त मात्रा में धूप ने मिलने से विटामिन डी की कमी

शिमला-07 जुलाई (rhnn) : राजधानी शिमला के बच्चों को पर्याप्त मात्रा में धूप नहीं मिलने से विटामिन डी की भारी कमी है। आईजीएमसी शिमला की ओर से इस संबंध में किया गया एक अध्ययन चौंकाने वाला है। छठी से बारहवीं कक्षा तक के 300 बच्चों पर किए अध्ययन से यह बात सामने आई है कि यहां पर केवल चार बच्चों में ही विटामिन डी पर्याप्त मात्रा में थी।बाकी में इसकी तय से कम मात्रा या बहुत कमी पाई गई।

आईजीएमसी शिमला के विशेषज्ञों ने यह अध्ययन मेडिसिन विभाग के प्रो. जितेंद्र कुमार मोक्टा की निगरानी में किया है। यह हाल ही में एक अंतरराष्ट्रीय जर्नल में छपा है। यह अध्ययन शिमला के स्कूली बच्चों पर किया गया। उनमें विटामिन डी की कमी का आकलन किया गया। इसके लिए शिमला शहर के छठी से बारहवीं कक्षा के 300 बच्चों को शामिल किया गया। लिखित अनुमति लेकर बच्चों के रक्त के नमूने एकत्र किए गए। जिन बच्चों पर यह अध्ययन किया गया, उनमें से 151 लड़कियां थीं। यानी यह संख्या कुल बच्चों की 50.33 प्रतिशत थी। 149 यानी 49.76 प्रतिशत लड़के थे। लड़कियों में लड़कों की अपेक्षा विटामिन डी की ज्यादा कमी पाई गई। 98.66 प्रतिशत बच्चों में निर्धारित सीमा से कम विटामिन डी पाया गया। इनमें 93.33 प्रतिशत बच्चों में विटामिन डी की कमी पाई गई। 5.33 प्रतिशत बच्चों में 25 ओएच डी का स्तर सामान्य से कम पाया गया। 34.33 प्रतिशत बच्चों में बहुत अधिक कमी रही। केवल 1.33 यानी चार बच्चों में ही इसकी मात्रा पर्याप्त थी। ये चार बच्चे लड़के ही थे।

डॉ. जितेंद्र कुमार मोक्टा ने कहा कि बच्चों में हड्डियों के विकास के लिए धूप बहुत जरूरी है। बच्चों में अब फ्रैक्चर होना आम हो गया है। थोड़े से गिरते ही हड्डियां टूट जाती हैं। पहले गांव में धूप सेंकी जाती थी, तो बच्चे की हड्डियां मजबूत रहती थीं। शिमला का मौसम इस तरह का है कि धूप नहीं आती है।

दूसरा रिहायश भी इसी तरह की हैं। धूप में जाने से परहेज किया जा रहा है। 11 से 3 बजे तक का समय धूप सेंकने के लिए अच्छा है। 15 से 20 मिनट भी बहुत हैं। सीधी धूप होनी चाहिए। ग्लास हाउस से भी विटामिन डी नहीं होता है। फिल्टर्ड सनलाइट ठीक नहीं है। लड़कियों में तो यह बहुत जरूरी है। उन्हें विवाह के बाद प्रेग्नेंसी में दिक्कत हो सकती है।

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