शिमला 7 दिसंबर (rhnn) : संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों के अनुसार, सभी देशों ने वर्ष 2030 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित किया है। भारत सरकार ने वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त भारत बनाने का संकल्प लिया है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के केंद्रीय टीबी विभाग ने देश के 347 उच्च प्राथमिकता वाले जिलों में 100 दिवसीय निक्षय शिविर अभियान शुरू किया है। शिमला में माननीय मुख्यमंत्री श्री सुखविंदर सिंह सुक्खू व स्वास्थ्य मंत्री कर्नल डॉ धनीराम शांडिल ने 100 दिवसीय निक्षय शिविर अभियान का शुभारंभ किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने निक्षय वाहन को हरी झंडी दिखाकर क्षेत्र में रवाना किया और खुद का एक्स-रे भी करवाया।
इस अवसर पर माननीय विधायक श्री हरीश जनार्धन, मेयर शिमला, नगर निगम सुरिंदर चौहान, स्वास्थ्य सचिव हिमाचल प्रदेश एम. सुधा देवी (IAS), राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन भारत सरकार की उप आयुक्त डॉ. जोया अली रिज़वी, स्वास्थ्य निदेशक हिमाचल प्रदेश डॉ. प्रकाश दरोच, और एनएचएम हिमाचल प्रदेश की निदेशक प्रियंका वर्मा (IAS) भी उपस्थित रहीं।
कार्यक्रम के दौरान माननीय मुख्यमंत्री ने हैंड हेल्ड एक्स-रे और NAAT मशीन युक्त निक्षय वाहन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया एवं हैंड हेल्ड एक्स-रे के माध्यम से खुद का एक्स-रे भी करवाया एवं मोलिक्युलर मशीन के संचालन के बारे में जानकारी ली। इन वाहनो द्वारा हिमाचल प्रदेश के सभी 12 जिलो में 100 दिवसीय अभियान के दौरान घर घर जाकर टीबी के मामलो की पहचान की जाएगी और एक्सरे आधारित निक्षय शिविर आयोजित किए जाएँगे साथ ही उच्च जोखिम आबादी की टीबी संक्रमण जाँच की जाएगी।
इस अभियान में जन भागीदारी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी, जहां समुदाय समुदाय टीबी के प्रति जागरूकता फैलाने में सक्रिय भूमिका निभाएगा। कार्यक्रम के दौरान सीएसआर डोनर्स, निक्षय मित्रों और टीबी चैम्पियंस को राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए सम्मानित किया गया। मुख्यमंत्री ने टीबी मरीजो को पोषण किट भी वितरित की। ग़ौरतलब है हिमाचल प्रदेश पहले ही प्रति 1,00,000 जनसंख्या पर 4,000 से अधिक की दर से टीबी टेस्टिंग कर रहा है, जो कि देश में सबसे अधिक है। राज्य में सभी स्वास्थ्य ब्लॉको में 135 से अधिक मॉलिक्यूलर डायग्नोस्टिक मशीने और सीएसआर डोनर्स के सहयोग से 10 अल्ट्रा पोर्टेबल हैंड हेल्ड एक्सरे मशीने उपलब्ध है।
राज्य सरकार ने टीबी उन्मूलन के लिए मुख्यमंत्री क्षय रोग निवारण योजना के तहत प्रति वर्ष 2 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया है, जो भारत सरकार के बजट के अतिरिक्त है। जिसके तहत डीआरटीबी मरीजों को न्यूट्रिमिक्स और ₹1500 मासिक सहायता दी जा रही है, साथ ही सीटी स्कैन और एमआरआई जांच का खर्च भी राज्य योजना से कवर किया जा रहा है। पंचायतों की भागीदारी के साथ, हिमाचल प्रदेश टीबी मुक्त भारत के लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ रहा है। हिमाचल प्रदेश टीबी को ख़त्म करने और देश का पहला राज्य बनने के किए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। यह 100 दिवसीय अभियान इस लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।