शिमला, 02 नवंबर (RHNN) : 78वां वार्षिक निरंकारी संत समागम समालखा में मानव सौहार्द और विश्वबंधुत्व का संदेश देते हुए जारी है। देश-विदेश से पहुँचे लाखों श्रद्धालुओं के समक्ष निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने कहा कि “आत्ममंथन अपने भीतर झांकने की वह साधना है जो परमात्मा के अहसास से सरल हो जाती है।”
माता ने कहा कि मनुष्य दिनभर अनेक परिस्थितियों से गुजरता है, ऐसे में कौनसी बात मन में रखनी है और कौनसी छोड़ देनी है, यह विवेक जरूरी है। उन्होंने समझाया कि हमारा व्यवहार जैसा होगा, उसकी प्रतिक्रिया भी वैसी ही लौटकर आती है, इसलिए मनुष्य को अपने आचरण को मधुर और संतुलित रखना चाहिए।
समागम में आदरणीय निरंकारी राजपिता रमित ने कहा कि परमात्मा शाश्वत सत्य है और उसकी पहचान सतगुरु की कृपा से ही संभव है। उन्होंने मानव को राष्ट्र, धर्म और संस्कृतियों की सीमाओं से ऊपर उठकर एक सार्वभौमिक सत्य को अपनाने का आह्वान किया।
समागम में आकर्षक निरंकारी प्रदर्शनी श्रद्धालुओं के केंद्र में बनी हुई है, जिसमें मिशन का इतिहास, आत्ममंथन विषयक मॉडल, बाल प्रदर्शनी और संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन की सामाजिक गतिविधियों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया गया है। समागम में प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।

