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HMPV वायरस की भारत में दस्तक, हिमाचल में अलर्ट जारी

शिमला 07 जनवरी (rhnn) : चीन में फैल रहे ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) संक्रमण की भारत में दस्तक हो गई। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने कर्नाटक में दो बच्चों में एचएमपीवी संक्रमण पाया है। तीन महीने की बच्ची और आठ महीने के बच्चे में संक्रमण मिला है। इसके अलावा गुजरात में दो महीने के बच्चे में संक्रमण पाया गया है।

देश में एचएमपीवी वायरस के तीन मामले आने के बाद राज्य सरकार ने हिमाचल में अलर्ट जारी कर दिया है। मेडिकल कॉलेजों और जिला अस्पतालों को सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं। केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने इसको लेकर हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव के साथ बैठक की। इसके बाद स्वास्थ्य सचिव ने मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों को वायरस को लेकर अलर्ट जारी किया। बाहरी राज्यों से हिमाचल आने वाले लोगों पर नजर रखने को कहा गया है। एनएचएम के उप मिशन निदेशक डॉ. गोपाल बैरी ने कहा कि सभी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों को अलर्ट कर दिया है। उन्होंने कहा कि मास्क, पीपीई किट, ऑक्सीजन कसंट्रेटर समेत दवाइयों का स्वास्थ्य संस्थानों में पर्याप्त स्टॉक है। हालांकि बीएमओ और फील्ड स्टाफ को अपनी तैयारियां हर वक्त पूरी रखने के निर्देश जारी किए हैं ।

ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) : ह्यूमन मोटान्यूमोवायरस, श्वसन प्रक्रिया पर प्रभाव डालने वाला वायरस है। इसकी पहली बार पहचान 2001 में हो गई थी। तब नीदरलैंड के वैज्ञानिकों ने इसका पता लगाया था। यह पैरामाइक्सोविरीडे परिवार का वायरस है। श्वसन संबंधी अन्य वायरस की तरह यह भी संक्रमित लोगों के खांसने-छींकने के दौरान उनके करीब रहने से फैलता है। कुछ स्टडीज में दावा किया गया है कि यह वायरस पिछले छह दशकों से दुनिया में मौजूद है।

यह मुख्य तौर पर बच्चों पर असर डालता है। हालांकि, कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों और बुजुर्गों पर भी इसका प्रभाव दर्ज किया गया है। इस वायरस की वजह से लोगों को सर्दी, खांसी, बुखार, कफ की शिकायत हो सकती है। ज्यादा गंभीर मामलों में गला और श्वांस नली के जाम होने से लोगों के मुंह से सीटी जैसी खरखराहट भी सुनी जा सकती है। कुछ और गंभीर स्थिति में इस वायरस की वजह से लोगों को ब्रोंकियोलाइटिस (फेफड़ों में ऑक्सीजन ले जाने वाली नली में सूजन) और निमोनिया (फेफड़ों में पानी भरना) की स्थिति पैदा कर सकता है। इसके चलते संक्रमितों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ सकती है। चूंकि इसके लक्षण कोरोनावायरस संक्रमण और आम फ्लू से मिलते-जुलते हैं, इसलिए इन दोनों में अंतर बता पाना मुश्किल है। हालांकि, जहां कोरोनावायरस की महामारी हर सीजन में फैली थी। वहीं एचएमपीवी अब तक मुख्यतः मौसमी संक्रमण ही माना जा रहा है। हालांकि, कई जगहों पर इसकी मौजूदगी पूरे साल भी दर्ज की गई है।
कोरोना के इतर इस वायरस के कारण ऊपरी और निचले दोनों श्वसन पथ में संक्रमण का खतरा हो सकता है। सामान्य मामलों में इस वायरस का असर तीन से पांच दिन तक रहता है।

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