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सचिवालय का कमरा नंबर 202 और क्रिस्टन कोठी

शिमला-11जनवरी (rhnn) : प्रदेश सचिवालय में कमरा नंबर 202, में कोई भी मंत्री  बैठने को तैयार नहीं । इसमें बैठने वाले मंत्री अगली बार चुनाव हार गए हैं। 2017-22 के बीच यहां तकनीकी शिक्षा मंत्री डॉ. रामलाल मारकंडा थे। वह इस बार चुनाव हार गए। 2012 में 202 नंबर कमरे में पूर्व शहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा बैठते थे। वह भी 2017 में चुनाव हार गए।सुधीर से पहले इसी कमरे में पूर्व बागवानी मंत्री स्व. नरेंद्र बराक्टा, विद्या स्टोक्स, सिंघी राम जैसे दिग्गज बैठ चुके हैं। वह भी चुनाव हारे हैं। यही वजह है कि इस बार जब सचिवालय में कमरों के लिए मारामारी मची हुई है। ऐसे वक्त में 202 नंबर कमरा अभी भी खाली पड़ा है। इसमें कोई भी मंत्री बैठने को तैयार नहीं है। 2012 में डॉ. मारकंडा भी इस कमरे में बैठने को तैयार नहीं थे। मगर जब कमरा नहीं मिला तो उन्होंने इसी कमरे में वास्तु के हिसाब से कुछ सिटिंग प्लान बदला था।

इसी तरह शिमला में नेता प्रतिपक्ष के लिए बनाई गई सरकारी कोठी (क्रिस्टन हॉल) में कोई नेता रहना पसंद नहीं करता। कहा यह जाता है कि जो भी इस कोठी में रहा है, वह अगली बार चुनाव हार जाता है। सामान्य प्रशासन विभाग ने इस बार यह कोठी सुक्खू सरकार में दूसरे सबसे वरिष्ठ मंत्री चंद्र कुमार को अलॉट की है। क्रिस्टन हॉल कोठी मनहूस है या यह नेताओं का वहम। इसे लेकर सबकी अलग-अलग राय है। मगर, पिछले कुछ सालों में जो भी इस कोठी में रहा है, वह चुनाव जरूर हारा है।

बता दें कि 2017 में जयराम सरकार में बेस्ट परफॉर्मर माने जाने वाले पंचायतीराज एवं ग्रामीण विकास मंत्री वीरेंद्र कंवर को यह कोठी दी गई थी। इस बार विधानसभा चुनाव 2022 में वीरेंद्र कंवर हार गए। इससे पहले 2012 से 2017 तक नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल इसी कोठी में रहे। 2017 में वे भी भाजपा का मुख्यमंत्री चेहरा घोषित होने के बावजूद सुजानपुर सीट से चुनाव हार गए।धूमल से पहले क्रिस्टन हॉल कोठी में पूर्व मंत्री गुलाब सिंह ठाकुर, आशा कुमारी, दिवंगत सुखराम, रामलाल ठाकुर भी रहे और उसके बाद अगला चुनाव हारे। यह कोठी नेता प्रतिपक्ष के लिए बनाई गई है, लेकिन नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने भी यहां रहने की रुचि नहीं दिखाई। अब उन्हें ग्रांट लॉज कोठी दी गई है।क्रिस्टन हॉल कोठी प्रदेश सचिवालय से लगभग 350 मीटर और छोटा शिमला पोस्ट ऑफिस से करीब 150 मीटर की दूरी पर स्थित है। माना जा रहा है कि 78 साल के चंद्र कुमार शायद अगला चुनाव न लड़े। इसलिए उन्होंने इस कोठी में रहने को अपनी कंसेंट दी है।

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