शिमला-25 मई (rhnn) : हिमाचल सरकार ने ऐलोपैथी, आयुष, वेटरनरी और डेंटल डॉक्टरों के लिए एनपीए बंद कर दिया है। इस संदर्भ में वित्त विभाग ने अधिसूचना जारी कर दी है। वित्त विभाग की ओर से जारी की गई अधिसूचना के अनुसार नई भर्तियों में इन विभागों के डॉक्टरों को नॉन प्रेक्टिस अलाउंस नहीं मिलेगा। इस फैसले हिमाचल प्रदेश मेडिकल अफसर एसोसिएशन के अलावा वेटरनरी, डेंटल और आयुष डॉक्टर नाराज है।
हिमाचल प्रदेश मेडिकल अफसर एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. राजेश राणा और डॉ. विकास ठाकुर का कहना है कि हिमाचल प्रदेश चिकित्सक संघ ने भविष्य में नियुक्त होने वाले चिकित्सकों के एनपीए को रोके जाने का एकमत से विरोध जताया है। इस संदर्भ में वित्त विभाग की अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। वेतन को लेकर हिमाचल में पंजाब की तर्ज पर निर्णय लिए जाते हैं यह आकाश मिक निर्णय चिकित्सकों के हित में नहीं है साथ ही यह एक जनविरोधी निर्णय भी है। यदि चिकित्सा अधिकारी अपनी प्रैक्टिस करते हैं तो इससे जनता का आउट ऑफ पॉकेट एक्सपेंडिचर ही बढ़ेगा इसके कारण प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाएं भी चरमरा सकती हैं। हिमाचल के चिकित्सको ने कड़ी मेहनत से राज्य को देशभर में सर्वोत्तम स्थान पर पहुंचाया है क्योंकि हिमाचल में चिकित्सको को एनपीए दिया जाता है वहीं जिन राज्यों में एनपीए नहीं दिया जाता है उनके हेल्थ इंडिकेटर बहुत ही निम्न स्तर पर हैं। संघ ने मांग उठाई है कि डाक्टरों को मिलने वाला नॉन प्रैक्टिस अलाउंस बंद नहीं होना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि डॉक्टरों की ड्यूटी वाकी विभागों में तैनात कर्मचारियों व अधिकारियों से काफी अलग है। हर परिस्थिति में डॉक्टरों को सेवाएं देनी पड़ती है। डॉक्टरों को दिन-रात सेवाएं देने के बावजूद भी अगर सरकार का यह रवैया रहता है, तो यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है। डॉक्टरों का काम जनसेवा से जुड़ा हुआ है आपदा के समय भी डॉक्टर जान जोखिम में डालकर सेवाएं देते हैं चाहे कोविड-19 में हो चाहे कोई भी अन्य परिस्थिति हो उस दौरान भी डाक्टरों ने दिन-रात एक करके काम किया है। स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में हिमाचल अग्रणी राज्यों में शुमार है। इस तरह के निर्णय से प्रदेश की जनता को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है इसलिए संघ का सरकार से यह आग्रह है कि इस तरह का कोई भी निर्णय लेने से पहले डॉक्टरों को विश्वास में लिया जाए।
सरकार के इस फैसले से वेटरनरी ऑफिसर संघ भी नाराज है। संघ के अध्यक्ष डॉ नीरज मोहन एवं महासचिव डॉ मधुर गुप्ता का कहना है कि पिछली सरकार ने 3 जनवरी 2022 के बाद सभी वर्गों के चिकित्सकों का 4-9-14 के वित्तीय लाभ पर रोक लगा दी थी और प्रदेश सरकार ने हर वर्ग के चिकित्सकों की नई नियुक्तियां होने पर एनपीए पर भी रोक लगा दी जिस से समस्त चिकित्सक वर्ग में निराशा एवं दुख का माहौल है। संघ ने बताया की हर वर्ग के चिकित्सकों को साढ़े 5 वर्ष की पढ़ाई करने के बाद ही सरकारी सेवा का अवसर प्राप्त होता है और पूरे सेवाकाल में उन्हें बहुत ही कम प्रमोशन के अवसर मिलते हैं और चिकित्सकों को हर समय आपातकालीन सेवाओं के लिए तैयार रहना पड़ता है,इन सभी पहलुओं को ध्यान में रख कर ही इसकी भरपाई के लिए उन्हें 4-9-14 एवं एनपीए जैसे वित्तीय लाभ दिए जाते हैं पशु चिकित्सक संघ ने हैरान होते हुए कहा की प्रदेश सरकार तो एकदम कर्मचारी हितैषी है और सरकार ने कर्मचारियों के भविष्य की चिंता करते हुए ही उन्हें पुरानी पेंशन योजना का लाभ 20 साल बाद फिर से दे कर एक नया इतिहास रच डाला है तो फिर ऐसे में भला प्रदेश सरकार चिकित्सकों की आने वाली पीढ़ी के साथ ये वित्तीय लाभ छीन कर कैसे उनका शोषण कर सकती है। पशु चिकित्सा अधिकारी संघ के पदाधिकारियों ने मीडिया से रू बरु होते हुए अपना दुख एवं दर्द व्यक्त करते हुए कहा है की आज सरकार के इस निर्णय से ना केवल पशु चिकित्सक आहत हुए हैं बल्कि स्वास्थ्य एवं आयुष विभाग के चिकित्सकों में भी भारी भरकम रोश देखने को मिल रहा है।