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गणपति की आराधना से ज्ञान और बुद्धि की होती हैं प्राप्ति

शिमला-07 सितम्बर (rhnn) : भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। इस साल 7 सितंबर 2024 को गणेश चतुर्थी मनाई जा रही है। इस दिन सभी भक्तजन बप्पा को घर लाते हैं, और विधि विधान से उनकी पूजा करते हैं। मान्यता है कि गणपति जी की आराधना करने से ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति होती हैं। साथ ही सफलता के योग बनते हैं।

हर साल गणेश चतुर्थी को एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है, जो 10 दिनों तक लगातार चलता है। इस दौरान महाराष्ट्र व कर्नाटक में गणेश पूजन की अलग रौनक देखने को मिलती है। वहीं इस दिन विघ्नहर्ता को मोदक, फल, खीर और मिठाई अर्पित की जाती हैं, जिससे वह प्रसन्न होते हैं। गणेश चतुर्थी पर भक्त अपने-अपने घरों में गणपति को बैठाते हैं। वहीं गणेश चतुर्थी के मौके पर बड़े-बड़े पांडलों में भगवान गणेश की भव्य और विशाल मूर्तियों को स्थापित करते हैं। घरों में भगवान गणेश की प्रतिमा को स्थापित करने के लिए लोग बाजार से गणेश प्रतिमा को खरीदते हैं तो गणेश जी की मूर्ति के लिए कुछ नियमों का पालन करना चाहिए।

गणेश जी की मूर्ति का स्वरूप : मान्यताओं के अनुसार, गणेश जी की मूर्ति का स्वरूप शुभ होना चाहिए। चतुर्भुज गणेश जी की मूर्ति विशेष रूप से शुभ मानी जाती है। इनके चार हाथ होते हैं, जिनमें से एक में मोदक, दूसरे में पाश, तीसरे में अंकुश और चौथे हाथ से वरदान देने का आशीर्वाद देते हैं। यह मूर्ति घर में सुख और समृद्धि लाती है।

गणेश जी की दिशा और मुद्रा : वास्तु शास्त्र के अनुसार, गणेश जी की मूर्ति को लाते समय उनकी दिशा और मुद्रा पर विशेष ध्यान देना चाहिए। कभी भी गणेशजी का मुख दक्षिण की ओर करके नहीं रखना चाहिए। इसके बजाय, उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठे गणेश जी की मूर्ति को घर में स्थापित करना चाहिए। यह दिशा समृद्धि और शांति का प्रतीक मानी जाती है।

गणेश जी की मूर्ति का रंग : वास्तु शास्त्र के अनुसार, मूर्ति का रंग भी महत्वपूर्ण है। सफेद रंग की गणेश जी की मूर्ति घर में सुख-शांति और समृद्धि लाती है। अगर परिवार में किसी प्रकार की अशांति या विवाद हो, तो सफेद रंग की मूर्ति को स्थापित करना विशेष रूप से लाभकारी माना गया है। वहीं, लाल रंग की गणेश जी की मूर्ति को ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक माना जाता है, जो घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है।

मिट्टी की गणेश जी की मूर्ति : गणेश जी की मूर्ति मिट्टी से बनी होनी चाहिए। पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए, आजकल प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियों की बजाय मिट्टी की मूर्तियों को प्राथमिकता दी जाती है। यह न केवल पर्यावरण की रक्षा करती है, बल्कि पारंपरिक धार्मिक मान्यताओं का भी पालन करती है। माना जाता है कि मिट्टी की मूर्ति घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है और सुख-समृद्धि की वृद्धि करती है।

गणेश जी की मूर्ति का आकार : वास्तु शास्त्र के अनुसार, गणेश जी की मूर्ति का आकार भी महत्वपूर्ण है। घर में बहुत बड़ी मूर्ति की स्थापना नहीं करनी चाहिए। इसके बजाय, छोटी और मध्यम आकार की मूर्ति को घर में रखना शुभ माना गया है। इससे घर में स्थान का संतुलन बना रहता है और मूर्ति की स्थापना में किसी प्रकार की बाधा नहीं आती है।

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