दिल्ली/शिमला 04 अगस्त 2025 (rhnn) : झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक शिबू सोरेन का लंबी बीमारी के बाद 81 वर्ष की उम्र में सोमवार को दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में निधन हो गया। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से इसकी पुष्टि की झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक, ‘दिशोम गुरु’ शिबू सोरेन का निधन एक तरह से झारखंड की सियासत के एक युग का अंत है। उनकी मृत्यु की खबर ने झारखंड की राजनीति और आदिवासी समाज में शोक की लहर दौड़ा दी है। उनके निधन पर बेटे हेमंत सोरेन ने दुख प्रकट किया. उन्होंने कहा कि मैं आज शून्य हो गया है। गुरुजी हमसबको छोड़कर चले गए।
शिबू सोरेन ने आदिवासी समाज के अधिकारों के लिए अनगिनत आंदोलन किए। उन्होंने 18 साल की उम्र में संथाल नवयुवक संघ बनाया और बाद में JMM के जरिए आदिवासियों की जमीन को मनीलेंडर्स और बाहरी लोगों से बचाने के लिए आंदोलन चलाए। चिरूडीह और कुकड़ो जैसे घटनाओं ने उनके आंदोलन को और मजबूती दी। शिबू सोरेन का मानना था कि झारखंड की खनिज संपदा और प्राकृतिक संसाधन ही भारत को ‘सोने की चिड़िया’ बनाते थे, जिसे बचाना जरूरी था। शिबू सोरेन का निधन झारखंड के लिए एक अपूरणीय क्षति है। वह न केवल एक राजनेता थे, बल्कि आदिवासी समाज के लिए एक प्रतीक थे। उनके नेतृत्व में JMM ने झारखंड को बिहार से अलग कर एक नई पहचान दी। उनके बेटे और वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उनकी विरासत को आगे बढ़ाया, लेकिन शिबू की करिश्माई छवि और जनता से जुड़ाव बेमिसाल था. उनकी अनुपस्थिति में JMM और झारखंड की राजनीति में एक बड़ा खालीपन महसूस होगा।
शिबू सोरेन का राजनीतिक जीवन उतार-चढ़ाव से भरा रहा। उन्होंने दुमका लोकसभा सीट से आठ बार जीत हासिल की और 2005, 2008-09, और 2009-10 में झारखंड के मुख्यमंत्री रहे. वह मनमोहन सिंह सरकार में कोयला मंत्री भी रहे, लेकिन 1994 में उनके निजी सचिव की हत्या और 1975 के चिरूडीह कांड जैसे विवादों ने उनके करियर को प्रभावित किया। फिर भी उन्होंने हमेशा आदिवासी हितों को प्राथमिकता दी।
सोरेन के निधन की खबर के बाद रांची से लेकर दिल्ली तक शोक की लहर है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है. झारखंड में उनके समर्थकों ने सरना स्थलों और मंदिरों में प्रार्थनाएं कीं हैं. JMM के प्रवक्ता मनोज पांडेय ने कहा, “गुरुजी का जाना झारखंड के लिए एक युग का अंत है। पूरे राज्य में लोग उनकी स्मृति में श्रद्धांजलि सभाएं आयोजित कर रहे हैं।
शिबू सोरेन की विरासत को उनके बेटे हेमंत सोरेन और JMM के अन्य नेता आगे बढ़ा रहे हैं। उनके द्वारा शुरू किए गए आदिवासी अधिकारों के आंदोलन ने झारखंड को नई दिशा दी। हालांकि, उनकी अनुपस्थिति में पार्टी को एकजुट रखना और उनकी तरह जनता से जुड़ना एक चुनौती होगी। सोरेन की लड़ाई और उनके आदर्श हमेशा झारखंड के लोगों को प्रेरित करते रहेंगे।