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हिमाचल प्रदेश सीटू का 15वां राज्य सम्मेलन मोनाल बैंक्विट हॉल सोलन में हुआ आरंभ

शिमला, 27 अक्टूबर (RHNN) : सम्मेलन का उद्घाटन अखिल भारतीय सीटू के महासचिव एवं पूर्व राज्यसभा सांसद कॉमरेड तपन सेन ने किया। इस अवसर पर एटक के प्रदेश अध्यक्ष कामरेड जगदीश भारद्वाज ने सम्मेलन को शुभकामनाएं दीं। सम्मेलन में हिमाचल किसान सभा, जनवादी महिला समिति, एसएफआई, डीवाईएफआई और पेंशनर्स एसोसिएशन जैसे भाई संगठनों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। इस अवसर पर किसान सभा के राज्य अध्यक्ष कामरेड कुलदीप तंवर, एसएफआई के राज्य सचिव कामरेड सनी, डीवाईएफआई के राज्य सचिव कामरेड सुरेश सरवाल, तथा जनवादी महिला समिति की प्रदेश अध्यक्ष कामरेड फालमा चौहान ने सम्मेलन को संबोधित किया। सभी वक्ताओं ने मजदूर–किसान–महिला–युवा एकता को मज़बूत करने और संयुक्त संघर्ष की आवश्यकता पर बल दिया।

अपने उद्घाटन भाषण में कॉमरेड तपन सेन ने कहा कि आज देश की नीतियाँ पूरी तरह पूंजीपतियों और बड़े उद्योगपतियों के हित में बनाई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि श्रम संहिताओं के माध्यम से मजदूरों के अधिकारों को समाप्त किया जा रहा है, स्थायी नौकरियाँ खत्म की जा रही हैं और ठेका व्यवस्था को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने मिड डे मील वर्करों, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि ये वर्ग अत्यधिक परिश्रम के बावजूद न्यूनतम वेतन से वंचित हैं। उन्होंने कहा कि उद्योगों में श्रम कानूनों का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है और सरकार पूंजीपतियों को खुली लूट की छूट दे रही है।

कामरेड तपन सेन ने कहा कि आने वाले समय में देशभर के मजदूर एक व्यापक आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मजदूर वर्ग, किसान, महिला और युवा आंदोलनों के साथ मिलकर केंद्र सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ एकजुट संघर्ष को और मज़बूती देगा। सम्मेलन को सीटू के प्रदेश अध्यक्ष कामरेड विजेंद्र मेहरा, महासचिव कामरेड प्रेम गौतम, राष्ट्रीय सचिव कामरेड कश्मीर सिंह ठाकुर, तथा राष्ट्रीय नेतृत्व से कामरेड के. एन .उमेश ने भी संबोधित किया। सम्मेलन में संगठन, आंदोलन और श्रमिक वर्ग की मौजूदा चुनौतियों पर गहन चर्चा की जा रही है तथा आने वाले तीन वर्षों के लिए राज्यव्यापी संघर्ष और संगठन विस्तार की रूपरेखा तय की जाएगी।

सम्मेलन को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा मजदूर विरोधी चार लेबर कोड के जरिए मजदूरों पर गुलामी थोपने व बंधुआ मजदूरी कायम करने के खिलाफ, 26 हजार न्यूनतम वेतन, योजना कर्मियों, आउटसोर्स, ठेका प्रथा, मल्टी टास्क, टेंपररी, कैजुअल, ट्रेनी की जगह नियमित रोजगार देने, मनरेगा बजट में बढ़ोतरी, मनरेगा मजदूरों हेतु न्यूनतम वेतन लागू करने, श्रमिक कल्याण बोर्ड के आर्थिक लाभ सुनिश्चित करने आदि मांगों पर हिमाचल प्रदेश में सीटू निरंतर संघर्षशील रहा है।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार द्वारा चार लेबर कोड लागू होने से सत्तर प्रतिशत उद्योग व चौहतर प्रतिशत मजदूर श्रम कानूनों के दायरे से बाहर हो जाएंगे। हड़ताल करने पर मजदूरों को कड़ी सजाओं व जुर्मानों का प्रावधान किया गया है। पक्के किस्म के रोजगार के बजाए ठेका प्रथा व फिक्स टर्म रोजगार को बढ़ावा दिया जाएगा। काम के घंटे आठ के बजाए बारह घंटे करने से बंधुआ मजदूरी स्थापित होगी। उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी, मिड डे मील व आशा कर्मियों को सरकारी कर्मचारी घोषित करने तथा ग्रेच्युटी लागू करने, मजदूरों का न्यूनतम वेतन 26 हज़ार रुपये घोषित करने, मजदूर विरोधी चार लेबर कोडों, नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन, बीमा क्षेत्र में सौ फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, मजदूरों के काम के घंटे आठ से बढ़ाकर बारह करने, ठेका मजदूरों की रोज़गार सुरक्षा सुनिश्चित करने, उन्हें नियमित कर्मियों के बराबर वेतन देने, केंद्रीय व प्रदेश सरकार के बोर्ड व निगम कर्मियों की ओपीएस बहाल करने, न्यूनतम पेंशन 9 हज़ार लागू करने, मनरेगा व निर्माण मजदूरों के श्रमिक कल्याण बोर्ड से आर्थिक लाभ व पंजीकरण सुविधा बहाल करने, एसटीपी मजदूरों के लिए शेडयूल एम्प्लॉयमेंट घोषित करने, आउटसोर्स व अस्पताल कर्मियों के लिए नीति बनाने, औद्योगिक मजदूरों को 40 प्रतिशत अधिक वेतन देने, तयबजारी को उजाड़ने के खिलाफ, शहरी क्षेत्रों में विस्तार के साथ ही मनरेगा में 600 रुपये प्रति दिन की मजदूरी पर 200 दिन कार्य दिवस प्रदान करने, मनरेगा, निर्माण तथा बीआरओ मजदूरों का श्रमिक कल्याण बोर्ड में पंजीकरण व आर्थिक लाभ बहाल करने, आउटसोर्स, सैहब व 108 एवं 102 एंबुलेंस कर्मियों के लिए नीति बनाने, भारी महंगाई पर रोक लगाने, सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण को रोकने के मुद्दे पर संघर्ष जारी है।

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