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लाहौल-स्पीति में फंसे 73 ट्रेकर्स एवं 34 ग्रामीणों को सुरक्षित निकाला

शिमला 16 अगस्त 2025 (RHNN) : जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA), लाहौल-स्पीति से प्राप्त सूचना के अनुसार, 12 अगस्त 2025 को सायं 1900 बजे मियार घाटी, उदयपुर (लाहौल-स्पीति) में बादल फटने की घटना हुई। इसके अगले दिन, 13 अगस्त 2025 को उसी क्षेत्र में फ्लैश फ्लड (अचानक आई बाढ़) की घटना भी हुई। इस दौरान क्षेत्र में कई अस्थायी पुल बह गए। 14 अगस्त 2025 को DDMA लाहौल-स्पीति ने एनडीआरएफ को सूचित किया कि मियार घाटी के थानपट्टन क्षेत्र (उच्च हिमालयी ट्रेक) में कई ट्रेकर्स फंसे हुए हैं, जिन्हें तुरंत रेस्क्यू की आवश्यकता है। सूचना मिलते ही, कीलोंग के कारगा से एनडीआरएफ की माउंटेन रेस्क्यू टीम (MRT) को रवाना किया गया। बाद में उदयपुर में आईटीबीपी एवं सिविल प्रशासन की टीम भी इस अभियान में शामिल हुई।

इस घटना में लगभग 13,000 फीट की ऊँचाई पर 73 ट्रेकर्स फंसे हुए थे, क्योंकि थानपट्टन क्षेत्र में अस्थायी पुल बह गया था। मार्ग में आगे बढ़ते हुए करपट, चंगुत एवं उर्गोस नालों के तीन और पुल बह गए। अनेक स्थानों पर भूस्खलन से सड़क मार्ग भी बाधित हो गया, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों का संपर्क पूरी तरह कट गया और स्थिति और गंभीर हो गई। फंसे हुए ट्रेकर्स तक पहुँचने के लिए MRT ने उदयपुर से शकोली–करपट–उर्गोस–टिंगराट–खांजर होते हुए थानपट्टन तक लगभग 45 किमी की कठिन पैदल यात्रा की। अभियान के दौरान चार तेज बहाव वाले नालों को पार करना पड़ा। रस्सियों एवं विशेष पर्वतारोहण उपकरणों की मदद से टीम ने सुरक्षित पार करवाने की व्यवस्था की।

15 अगस्त 2025 को MRT ने आईटीबीपी के साथ मिलकर थानपट्टन पहुँचकर बचाव कार्य प्रारंभ किया, जहाँ इंडिया हाइक की टीम पहले से ही ट्रेकर्स को निकालने का प्रयास कर रही थी। शून्य से नीचे तापमान, अस्थिर स्थलाकृति, उफनती धाराएँ और सीमित पहुँच जैसी कठिन परिस्थितियों के बावजूद, सभी दलों ने धैर्य और सूझबूझ के साथ कार्य किया। उसी शाम तक MRT ने सभी ट्रेकर्स को उर्गोस नाले को पार करवा कर गाँव खांजर पहुँचाया, जहाँ उन्हें रात भर ठहराया गया। MRT स्वयं आगे बढ़कर गाँव टिंगराट पहुँची।

16 अगस्त 2025 की सुबह MRT अन्य टीमों के सहयोग से गाँव चंगुत की ओर रवाना हुई। उसी समय इंडिया हाइक टीम ट्रेकर्स के साथ खांजर से रवाना होकर MRT से चंगुत नाले पर मिली। प्रातः 10:00 बजे तक, कुल 73 ट्रेकर्स एवं 34 ग्रामीण (26 पुरुष जिनमें 01 पक्षाघात (Paralysis) से पीड़ित मरीज, 07 महिलाएँ एवं 01 बच्चा शामिल थे) को रस्सियों एवं पर्वतारोहण उपकरणों की मदद से सुरक्षित रूप से चंगुत एवं करपट नालों को पार कराया गया। तत्पश्चात सभी लोगों को बचाव दलों की निगरानी में शकोली होते हुए उदयपुर (लाहौल-स्पीति) लाया गया। सभी 73 ट्रेकर्स (जिनमें 13 महिलाएँ शामिल थीं) एवं 34 ग्रामीण सुरक्षित रूप से उदयपुर पहुँचाए गए। यह व्यापक बचाव अभियान, जो हिमालय की सबसे कठिन परिस्थितियों में संचालित किया गया, एनडीआरएफ, आईटीबीपी, इंडिया हाइक एवं सिविल प्रशासन के अदम्य साहस, उच्च कोटि की पेशेवर क्षमता एवं उत्कृष्ट समन्वय का प्रमाण है, जिसने प्रत्येक फँसे हुए व्यक्ति की सुरक्षित निकासी सुनिश्चित की।

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