शिमला-4 जून (rhnn) : हिमाचल प्रदेश में लोकसभा की चार व विधानसभा की छह सीटों के लिए मतगणना जारी है। प्रदेश में चारों लोकसभा सीटों पर भाजपा के प्रत्याशी आगे हैं। वहीं उपचुनाव में कांग्रेस चार व भाजपा दो सीटों पर आगे हैं रुझानों में बढ़त से खुश भाजपा कार्यालय शिमला में जश्न का माहौल है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष राजीव बिंदल सहित अन्य नेताओं ने मिठाइयां बांटकर जश्न मनाया।
प्रदेश की चार लोकसभा सीटों पर नोटा को मिलने वाले वोटों का आंकड़ा 22000 को पार कर गया है। यहां आउटसोर्स कर्मचारिओं में राजनीतिक दलों के प्रति गुस्सा देखा गया।
प्रदेश में करीब 30 से 35 हज़ार आउटसोर्स कर्मचारी अपनी सेवाएं दे रहें हैं। आउटसोर्स कर्मचारी समय समय पर अपनी मांगो को लेकर प्रदेश सरकार से मिलते रहे हैं, परन्तु उनकी मांगो को अनदेखा किया गया, जिस कारण उनमें रोष दिखा। आंकड़ों पर नजर डालें तो कांगड़ा में 6221, मंडी में 5497 हमीरपुर में 5077 तथा शिमला संसदीय सीट पर 5876 नोटा दबाया ।
निर्वाचन आयोग ने ऐसे मतदाताओं के लिए जो किसी भी दल के प्रत्याशी से खुश नहीं हैं, लेकिन अपना वोट डालना चाहते हैं, उनको ईवीएम नोटा (नन ऑफ द एबव) का विकल्प दिया है। नोटा का बटन दबाने का मतलब है कि वोटर को चुनाव लड़ रहा कोई भी उम्मीदवार पसंद नहीं है। भारत निर्वाचन आयोग ने 11 अक्टूबर 2013 से ईवीएम और मतपत्रों में नोटा का विकल्प उपलब्ध कराना शुरू किया था। नोटा का विकल्प मतपत्रों और ईवीएम के अंतिम पैनल में होता है। 2013 में पहली बार नोटा का इस्तेमाल छत्तीसगढ़, मिजोरम, राजस्थान, मध्य प्रदेश और दिल्ली के विधानसभा चुनावों में किया गया था।
कांग्रेस लोकसभा में हार के कारणों पर मंथन ज़रूर करेगी, परन्तु आउटसोर्स कर्मचारियों की अनदेखी कहीं न कहीं इसका एक कारण हो सकता है। अब देखना यह होगा कि कांग्रेस सरकार प्रदेश में कार्यरत आउटसोर्स कर्मचरियों के बारे कुछ सोचती है या नहीं ?